जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु पृथिवी से चार अंगुल ऊपर आकाश में घुटनों को मोड़े बिना गमन करने में समर्थ होते हैं वह जंघाचारण-ऋद्धि कहलाती है।
जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु पृथिवी से चार अंगुल ऊपर आकाश में घुटनों को मोड़े बिना गमन करने में समर्थ होते हैं वह जंघाचारण-ऋद्धि कहलाती है।
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