किसी राशि के वर्ग या Squre को कृति कहते हैं, जो राशि वर्गित होकर वृद्धि को प्राप्त होती है और अपने वर्ग में से वर्गमूल को कम करके पुनः वर्ग करने पर भी वृद्धि को प्राप्त होती है, उसे कृति …
चरण चारित्र, संयम, पापक्रिया निरोध इनका एक ही अर्थ है इनमें जो कुशल अर्थात् निपुण है, वे चारण कहलाते हैं। जल, जंघा, तन्तु, फल, पुष्प, बीज, आकाश और श्रेणी के भेद से चारण ऋद्धि धारक आठ प्रकार के हैंअग्निशिखाचारण, धूमचारण, …
महान आत्माओं के श्रेष्ठ चारित्र का वर्णन सुनते ही रोमांचित होकर अंतरंग भक्ति प्रकट करना, प्रणाम करना, मस्तक पर अंजुली रखकर आदर प्रकट करना और श्रद्धाT – पूर्वक स्वयं चारित्र के पालन करने में तत्पर रहना चारित्र – विनय है …