विरोधी धर्मों में से किसी एक को सिद्ध करने के लिए एक दूसरे को जीतने की इच्छा रखने वाले वादी और प्रतिवादी परस्पर में जो हेतु और दूषण आदि देते हैं, वह वाद कहलाता है। वादी और प्रतिवादी में अपने …
मार्ग में चलते हुए तीक्ष्ण कंकर काँटे आदि चुभने से उत्पन्न हुई पीड़ा को समतापूर्वक सहन करना चर्या परीषह जय हैं जिसका शरीर तपश्चरण आदि के कारण अत्यन्त अशक्त हो गया है जैसे खड़ाऊँ आदि का त्याग कर दिया है। …
धर्म के लिए अपने किसी देवता के लिए, किसी मंत्र को सिद्ध करने के लिए, औषधियों के लिए, और भोग-उपभोग के लिए कभी हिंसा नहीं करते। यदि किसी कारण से हिंसा हो गई हो तो विधिपूर्वक प्रायश्चित कर विशुद्धता धारण …