समवशरण में स्थिति पीठिका को अष्टमंगल सम्पदाएँ और यक्षों के ऊँचे-ऊँचे मस्तकों पर रखे हुए धर्मचक्र अलंकृत कर रहे थे। जिनमें लगे हुए रत्नों की किरणें ऊपर की ओर उठ रही है ऐसे हजार-हजार आरों वाले वे धर्म चक्र ऐसे …
जिसके द्वारा संसारी जीव पदार्थों को देखता है उसे चक्षु–इन्द्रिय कहते हैं। चक्षु इन्द्रिय का विषय वर्ण है। काला, नीला, पीला, सफेद और लाल के भेद से वर्ण पाँच प्रकार के हैं। चौ- इन्द्रिय, असंज्ञी पंचेन्द्रिय और संज्ञी पंचेन्द्रिय के …
चक्षु इन्द्रिय के द्वारा पदार्थ का ज्ञान होने से पूर्व जो सामान्य प्रतिभास होता है, वह चक्षुदर्शन है।
जो साधु संपूर्ण आगम अर्थात् ग्यारह अंग व चौदह पूर्व में पारंगत हैं और श्रुतकेवली कहलाते हैं। उनके चतुद्रशपूर्वी नामक बुद्धि ऋद्धि होती है।