गणधर के द्वारा रचा गया द्रव्यश्रुत ग्रन्थ कहा जाता है उसके साथ रहने अर्थात् उत्पन्न होने के कारण बोधित बद्ध आचार्यों में स्थित द्वादशांग श्रुतज्ञान ग्रन्थसम कहलाता है।
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