प्राणियों को पीड़ा उत्पन्न करने वाले व्यापार को खरकर्म अर्थात् क्रूर कर्म कहते हैं। वे पन्द्रह प्रकार के हैं- 1. गेहूँ आदि धान्यों को पीस-कूटकर व्यापार करना (वन जीविका), 2. कोयला तैयार करना (अग्नि जीविका ), 3. गाड़ी, रथ आदि …
जिसकी प्रभा चित्रा आदि रत्नों की प्रभा के समान है, वह रत्नप्रभा भूमि है। अधोलोक में सबसे पहले रत्नप्रभा पृथ्वी है। इसके तीन भाग हैंपंकभाग और अब्बहुलभाग। इन तीनों भागों का बाहुल्य क्रमशः सोलह हजार, चौरासी हजार और अस्सी हजार …