आकाश में जो विचरते हैं गमन करते हैं वे खचर कहलाते हैं ऐसे विजयार्ध की उभय श्रेणी सम्बन्धी विद्याधर खचर कहलाते हैं।
जिसकी प्रभा चित्रा आदि रत्नों की प्रभा के समान है, वह रत्नप्रभा भूमि है। अधोलोक में सबसे पहले रत्नप्रभा पृथ्वी है। इसके तीन भाग हैंपंकभाग और अब्बहुलभाग। इन तीनों भागों का बाहुल्य क्रमशः सोलह हजार, चौरासी हजार और अस्सी हजार …