आत्मा ने जो स्वतन्त्र भाव से किया वह कृत कहलाता है, अथवा कर्ता की कार्य सम्बन्धी स्वतंत्रता दिखलाने के लिए कृत शब्द का उपयोग किया जाता है।
क्षीण कषाय गुणस्थान में मोह रहित तीन घातिया प्रगतियों का काण्डक घात होता है। तहाँ अंत काण्डक का घात होतें याको कृतकृत्य छद्मस्थ कहिए। क्योंकि तिनिका काण्डक घात होने के पश्चात भी कुछ द्रव्य शेष रहता है। इसका काण्डक घात …
क्षायिक सम्यग्दर्शन की प्राप्ति के सम्मुख जीव जब तक मिथ्यात्व, सम्यग्मिथ्यात्व और अनन्तानुबंधी चतुष्क का क्षय नहीं कर देता तब तक वह कृतकृत्य वेदक कहलाता है। एक मत (उपदेश) के अनुसार कृत- कृत्य वेदन सम्यक्त्वी का मरण नहीं होता। दूसरे …