कुत्सित (निंद्य) तप तपें कुत्सित और कुत्सित साधु की भक्ति करें । कुत्सित गति को प्राप्त हों रे मूढ़ कुत्सितधर्मरत ।।१४०।।- भाव पाहुड़ अर्थ – आचार्य कहते हैं कि जो कुत्सित (निंद्य) मिथ्याधर्म में रत (लीन) है, जो पाखण्डी निंद्यभेषियों …
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