प्रत्येक क्षेत्र में दो- दो कुंड हैं। जिनमें कि पर्वत से निकलकर नदियाँ कुंडों में गिरती हैं, पीछे उन कुंडों से निकलकर क्षेत्रों में बहती हैं। प्रत्येक कुण्ड में एक- एक द्वीप हैं ।
सत्रहवें तीर्थंकर और छठे चक्रवर्ती। हस्तिनापुर के कौरववंशी महाराज सूरसेन और रानी श्रीकान्ता के यहाँ जन्म लिया । इनकी आयु पंचानवे हजार वर्ष थी । शरीर की ऊँचाई पैंतीस धनुष और आभा स्वर्ण के समान थी। चक्रवर्ती का विपुल – …
दिगम्बर आम्नाय के एक प्रधान आचार्य हुए। इनके पाँच नाम थे – कुन्दकुन्द, वक्रग्रीव, एलाचार्य गृद्धपृच्छ और पद्मनन्दि | आप द्रविड़ देशस्थ कोणुकुण्ड नामक स्थान के रहने वाले थे। आपको सत्संयम के प्रभाव से चारण ऋद्धि उत्पन्न हो गई थी …