रक्ता और रक्तोदा नामक नदियों के बीच अयोध्या नगरी है। इसमें एक ऐरावत नाम का राजा हुआ है। उसके द्वारा परिपालित होने के कारण इस क्षेत्र का नाम ऐरावत पड़ा है। भरत क्षेत्र के समान ही यहाँ भी उत्सर्पिणी अवसर्पिणी …
सौधर्म और ईशान स्वर्ग के अभियोग जाति के देव विक्रिया के द्वारा एक लाख योजन प्रमाण दीर्घ ऐरावत नामक हाथी बनते हैं। जिसके दिव्य रत्नमालाओं से युक्त बत्तीस मुख होते हैं एक-एक मुख में रत्नों के समूह से युक्त धवल …
दातार का पहला गुण है कि वह इस लोक के फल की इच्छा न करे कि मुझे धन पुत्र और यश हो।