ऐरावत हाथी
सौधर्म और ईशान स्वर्ग के अभियोग जाति के देव विक्रिया के द्वारा एक लाख योजन प्रमाण दीर्घ ऐरावत नामक हाथी बनते हैं। जिसके दिव्य रत्नमालाओं से युक्त बत्तीस मुख होते हैं एक-एक मुख में रत्नों के समूह से युक्त धवल चार दाँत होते हैं। एक- एक हाथी दाँत पर निर्मल जल से युक्त एक-एक उत्तम सरोवर होता है। एक-एक सरोवर में उत्तम कमल वन/खण्ड होता है। एक-एक कमल खण्ड में विकसित बत्तीस महापद्म होते हैं । एक-एक महापद्म एक-एक योजन प्रमाण होता है जिस पर एक-एक नाट्यशाला होती है और एक-एक नाट्यशाला में बत्तीस-बत्तीस अप्सराएँ नृत्य करती हैं। इस प्रकार विक्रिया से निर्मित यह ऐरावत हाथी की रचना अत्यन्त शोभायमान होती है। सौधर्म इन्द्र के द्वारा तीर्थंकरों के जन्माभिषेक के अवसर पर बालक- तीर्थंकर को ऐरावत हाथी पर बिठाकर सुमेरु पर्वत पर ले जाया जाता है।