अर्थात् एवकार व्यतिरेचक अर्थात् निवर्तक या नियामक होता है। विशेषण, विशेष्य और क्रिया के साथ कहा गया निपातक्रम से अयोग, अपरयोग (अन्ययोग) और अत्यन्तायोग का व्यवच्छेदक करता है। जैसे- ‘पार्थो धनुर्धरः और ‘नीलं सरोजम्’ इन वाक्यों के साथ प्रयुक्त एवकार …
अर्थात् एवकार व्यतिरेचक अर्थात् निवर्तक या नियामक होता है। विशेषण, विशेष्य और क्रिया के साथ कहा गया निपातक्रम से अयोग, अपरयोग (अन्ययोग) और अत्यन्तायोग का व्यवच्छेदक करता है। जैसे- ‘पार्थो धनुर्धरः और ‘नीलं सरोजम्’ इन वाक्यों के साथ प्रयुक्त एवकार …
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