एवंभूत नय
जो वस्तु जिस पर्याय को प्राप्त हुई है, उसी रूप निश्चय करने वाले या नाम देने वाले नय को एवंभूत-नय कहते हैं। आशय यह है कि जिस शब्द का जो वाच्य है उस रूप क्रिया करते समय ही उस शब्द का प्रयोग करना ठीक है अन्य समयों में नहीं। जैसे- जिस समय आज्ञा या ऐश्वर्यवान् हो उस समय ही इन्द्र है, पूजा या अभिषेक करने वाला इन्द्र नहीं कहलाएगा।