‘मैं अकेला ही उत्पन्न होता हूँ, अकेला ही मरता हूँ अकेला ही कर्मों का उपार्जन करता हूँ और अकेला ही उन्हें भोगता हूँ, कोई भी स्वजन और परिजन मेरे जन्म, जरा और मरण आदि के कष्ट को दूर नहीं कर …
तीन उपवास करने के अन्नतर चौथी रात्रि में ग्राम नगर आदि के बाह्यप्रदेश में अथवा श्मशान में पूर्वदिशा या उत्तरदिशा अथवा चैत्य (प्रतिमा) के सम्मुख मुख करके दोनों चरणों में चार अंगुल प्रमाण का अन्तर रखकर नासिका के अग्रभाग पर …