एक ही पदार्थ के उपलम्ब को एक अवग्रह कहते हैं। अल्प श्रोत्रेन्द्रियावरण के क्षयोपशम से परिणत आत्मा तत् आदि शब्द में से अन्यतम शब्द को ग्रहण करता है उसे एक अवग्रह कहते हैं। एक व्यक्तिरूप पदार्थ का ग्रहण करना एक …
जैसे ‘वही यह जिनदत्त है’ इस उदाहरण में जिनदत्त की पूर्व और उत्तर अवस्थाओं में रहने वाली एकता प्रत्यभिज्ञान का विषय है, इसी को एकत्व प्रत्यभिज्ञान कहते हैं ।
अणिमा, महिमा आदि आठ गुणों के ऐश्वर्य के संबंध से एक अनेक छोटा बड़ा आदि नाना प्रकार का शरीर करना विक्रिया है वह भी विक्रिया दो प्रकार की है एकत्व और पृथक्त्व वहाँ अपने शरीर को सिंह, व्याघ्र, हिरण, हंस …