यहाँ ठण्डी हवा मेरे शरीर को पीड़ा देती है ऐसा विचार करके चटाई से उसको ढक देना, अग्नि का सेवन करना, ग्रीष्म ऋतु का ताप मिटाने के लिए वस्त्र ग्रहण करना, उवटन लगाना, साफ करना, तेलादि से कमण्डलु आदि साफ …
आचार्य आदि पूज्य पुरुषों के आने पर स्वयं उठकर खड़े हो जाना, हाथ जोड़ना और उनके पीछे चलना यह उपचार- विनय है। उपचार विनय तीन प्रकार की है कायिक- विनय, वाचिक-विनय और मानसिक विनय