संश्लेष रहित वस्तुओं के संबंध को बताने वाला उपचरित-असद्भूत व्यवहार नय है। यह वस्तु को जानने का एक ऐसा दृष्टिकोण है जिसमें संश्लेष से रहित सर्वथा भिन्न वस्तुओं के बीच स्वामित्व आदि की अपेक्षा संबंध का कथन किया जाता है …
सोपाधि गुण और गुणी में भेद का कथन करना उपचरित सद्भूत व्यवहार नय है। यह वस्तु को जानने का एक ऐसा दृष्टिकोण है जिसमें कर्मोपाधि से युक्त द्रव्य के आश्रित रहने वाले गुणों को उस द्रव्य अर्थात् गुणी से प्रथक् …
स्वभाव का भी अन्यत्र उपचार करनेसे उपचरित स्वभाव होता है। वह उपचरित स्वभाव कर्मज और स्वभाविक के भेद से दो प्रकार का है। जैसे जीव का मूर्तत्व और अचेतनत्व कर्मजस्वभाव है और सिद्धों का पर को देखना पर को जानना …