जो अन्य द्रव्य को प्रेरणा किए बिना उसके कार्य में सहायक मात्र होता है वह उदासीन निमित्त कहलाता है। इसका यह अर्थ नहीं है कि वह बिल्कुल व्यर्थ ही है क्योंकि उसके बिना कार्य की निष्पत्ति असम्भव होने से उसको …
जो अन्य द्रव्य को प्रेरणा किए बिना उसके कार्य में सहायक मात्र होता है वह उदासीन निमित्त कहलाता है। इसका यह अर्थ नहीं है कि वह बिल्कुल व्यर्थ ही है क्योंकि उसके बिना कार्य की निष्पत्ति असम्भव होने से उसको …
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