स्पर्शन रसना घ्राण चक्षु श्रोत्र मन 8 प्रकार का स्पर्श 5 प्रकार का रस 2 प्रकार की गंध 5 प्रकार का वर्ण 7 प्रकार का शब्द श्रुतज्ञान के विषय भूत पदार्थ अनेक खुरपा तिल पुष्प मसूर दाल यव की नाली …
आयु के अंत में शान्तिपूर्वक समस्त वैभव को त्यागकर व देवों को उपदेश देकर देवलोक से च्युत होना इन्द्रत्याग क्रिया है।
तीर्थंकर महावीर के प्रथम गणधर। ये ब्राह्मणों के गौतम गोत्र में उत्पन्न हुए। ये वेद-वेदांग के ज्ञाता थे। इन्द्र अवधिज्ञान से यह जानकर कि इन्द्रभूति गौतम के आने पर ही भगवान महावीर की दिव्यध्वनि प्रारंभ हो सकती है इन्हें किसी …
जन्म धारण करते ही नवजात तीर्थंकर बालक का इन्द्र द्वारा सुमेरु पर्वत पर अभिषेक किया जाना इन्द्राभिषेक है।