जंघा का दूसरी जंघा के मध्य भाग से मिल जाने पर पद्मासन हुआ करता है। इस आसन में बहुत सुख होता है और समस्त लोग बड़ी सुगमता से धारण करते हैं। दोनों जंघाओं को आपस में मिलाकर ऊपर-नीचे रखने से …
जो उस (केवली भगवान का सुख सर्व सुखों में उत्कृष्ट है) वचन को इसी समय स्वीकार श्रद्धा करते हैं वे शिव श्री के भाजन आसन्न भव्य हैं।
आस्रव इस लोक और परलोक में दुखदायी है वह महानदी के प्रवाह के समान तीक्ष्ण है तथा राग-द्वेष- मोह रूप होने से बध-बंधन, अपयश और क्लेशादि को उत्पन्न करने वाला है। इस प्रकार आस्रव के दोषों का चिन्तवन करना आस्रवानुप्रेक्षा …