जो आवृत करता है या जिसके द्वारा आवृत किया जाता है वह आवरण कहलाता है। जो अपने विरोधी द्रव्य के सन्निधान अर्थात् समीप्य होने पर जो निर्मूलतः नहीं नष्ट होता उसे अव्रियमाण कहते हैं और दूसरे अर्थात् आवरण करने वाले …
केवली समुद्घात के सम्मुख होना ही आवर्जितकरण है यह सयोगकेवली के केवलीसमुद्घात करने के अन्तर्मुहूर्त पहिले होता है इसमें स्थिति व अनुभाग का काण्डकघात नहीं होता। अवस्थित गुणश्रेणी आयाम द्वारा घात है विशेष इतना है कि स्वस्थान केवली की अपेक्षा …