आवर्जित करण
केवली समुद्घात के सम्मुख होना ही आवर्जितकरण है यह सयोगकेवली के केवलीसमुद्घात करने के अन्तर्मुहूर्त पहिले होता है इसमें स्थिति व अनुभाग का काण्डकघात नहीं होता। अवस्थित गुणश्रेणी आयाम द्वारा घात है विशेष इतना है कि स्वस्थान केवली की अपेक्षा यहाॅ गुणश्रेणी आयाम तो असंख्यात गुण है और अपकर्षण किया गया द्रव्य भी असंख्यात गुणा है।