जिस भाषा से दूसरों को अभिमुख किया जाता है, उसको आमंत्रणी या सम्बोधिनी भाषा कहते हैं। जैसे- ‘हे देवदत्त यहाँ आओ । देवदत्त शब्द का संकेत जिसने ग्रहण किया उसकी अपेक्षा से यह वचन सत्य है जिसने संकेत ग्रहण नहीं …
जिस ऋद्धि के प्रभाव साधु के स्पर्श मात्र से जीव निरोगी हो जाते हैं, उसे आमर्ष- औषधि- ऋद्धि कहते हैं।