आमंत्रिणी भाषा
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जिस भाषा से दूसरों को अभिमुख किया जाता है, उसको आमंत्रणी या सम्बोधिनी भाषा कहते हैं। जैसे- ‘हे देवदत्त यहाँ आओ । देवदत्त शब्द का संकेत जिसने ग्रहण किया उसकी अपेक्षा से यह वचन सत्य है जिसने संकेत ग्रहण नहीं किया उसकी अपेक्षा से सत्य नहीं है अतः यह उभयात्मक भाषा है।
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