देखिये उच्छवास ।
जिस कर्म के उदय से एक गति से दूसरी गति में जाते हुए जीव के पूर्व शरीर का आकार नष्ट नहीं होता है वह आनुपूर्वी नामकर्म है। आनुपूर्वी नामकर्म के उदय से ही जीव का अपनी इच्छित गति में गमन …
पूर्वानुपूर्वी, पश्चातानुपूर्वी और यथातथानुपूर्वी या यत्रतत्रानुपूर्वी इस प्रकार आनुपूर्वी के तीन भेद हैं— जो पदार्थ जिस क्रम से सूत्रकार के द्वारा स्थापित किया गया हो अथवा जो पदार्थ जिस क्रम से उत्पन्न हुआ हो उसकी उसी क्रम से गणना करना …
जिस कर्म के उदय से एक गति से दूसरी गति में जाते हुए जीव के पूर्व शरीर का आकार नष्ट नहीं होता है वह आनुपूर्वी नामकर्म है। आनुपूर्वी नामकर्म के उदय से ही जीव का अपनी इच्छित गति में गमन …
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