• Courses
  • Features
    • About Us
    • FAQs
  • Blog
    • H5P
    • शास्त्र और ग्रंथ
  • Gallery
    • Categories

      • Interactive Puzzles (2)
      • आचार्यों द्वारा रचित ग्रंथ (8)
      • गुरुदेव कानजी स्वामी प्रवचन (1)
      • विद्वानों द्वारा रचित ग्रंथ (1)
      • शब्दावली (5)
    • RegisterLogin
Kund Kund
  • Courses
  • Features
    • About Us
    • FAQs
  • Blog
    • H5P
    • शास्त्र और ग्रंथ
  • Gallery
    • Categories

      • Interactive Puzzles (2)
      • आचार्यों द्वारा रचित ग्रंथ (8)
      • गुरुदेव कानजी स्वामी प्रवचन (1)
      • विद्वानों द्वारा रचित ग्रंथ (1)
      • शब्दावली (5)
    • RegisterLogin

“11”

  • Home
  • “11”
" 1 4 8 अ आ इ ई उ ऊ ऋ ॠ ए ऐ ओ औ क ख ग घ च छ ज झ ट ठ ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह

“11”

  • Posted by kundkund
  • Date July 16, 2023

गाथा

पंच परमागम

अधिकार

गाथा क्रमांक

Tags

पहली अंतिम

मूल ही है मूल ज्यों शाखादि द्रुम परिवार का।अष्ट पाहुड़दर्शन पाहुड़11
बस उस तरह ही मुक्तिमग का मूल दर्शन को कहा ।।११।।अष्ट पाहुड़दर्शन पाहुड़11
संयम सहित हों जो श्रमण हों विरत परिग्रहारंभ से ।अष्ट पाहुड़सूत्र पाहुड़11
वे वन्द्य है सब देव-दानव और मानुष लोक से ।।११।।अष्ट पाहुड़सूत्र पाहुड़11
विनयवत्सल दयादानरु मार्ग का बहुमान हो ।अष्ट पाहुड़चारित्र पाहुड़11
संवेग हो हो उपागूहन स्थितिकरण का भाव हो ।। ११ ।।अष्ट पाहुड़चारित्र पाहुड़11
जो देखे जाने रमे निज में ज्ञानदर्शन चरण से।अष्ट पाहुड़बोध पाहुड़11
उन ऋषीगण की देह प्रतिमा वंदना के योग्य है ।।११।।अष्ट पाहुड़बोध पाहुड़11
मानसिक देहिक सहज एवं अचानक आ पड़े।अष्ट पाहुड़भाव पाहुड़11
ये चतुर्विध दुख मनुजगति में आत्मन् तूने सहे ।। ११ ।।अष्ट पाहुड़भाव पाहुड़11
कुज्ञान में रत और मिथ्याभाव से भावित श्रमण ।अष्ट पाहुड़मोक्ष पाहुड़11
मद मोह से आच्छन्न भव भव देह को ही चाहते ।। ११ ।।अष्ट पाहुड़मोक्ष पाहुड़11
ज्ञान- दर्शन – चरण तप संयम नियम पालन करें ।अष्ट पाहुड़लिंग पाहुड़11
पर दुःखी अनुभव करें तो जावें नियम से नरक में ।।११।।अष्ट पाहुड़लिंग पाहुड़11
जब ज्ञान, दर्शन, चरण, तप सम्यक्त्व से संयुक्त हो ।अष्ट पाहुड़शील पाहुड़11
तब आतमा चारित्र से प्राप्ति करे निर्वाण की ।। ११ ।।अष्ट पाहुड़शील पाहुड़11
व्यवहारनय अभूतार्थ दर्शित, शुद्धनय भूतार्थ है ।समयसारपूर्वरंग11
भूतार्थ आश्रित आतमा, सुदृष्टि निश्चय होय है ॥११॥समयसारपूर्वरंग11
उत्पाद-व्यय से रहित केवल सत्‌ स्वभावी द्रव्य है।पंचास्तिकाय संग्रहषट द्रव्य व्याख्यान रूप पीठिका11
द्रव्य की पर्याय ही उत्पाद-व्यय-प्रुवता धरे।।११॥।पंचास्तिकाय संग्रहषट द्रव्य व्याख्यान रूप पीठिका11
प्राप्त करते मोक्षसुख शुद्धोपययोगी आतमा।प्रवचन सारज्ञान तत्त्व प्रज्ञापन – मंगलाचरण व भूमिका11
पर प्राप्त करते स्वर्गसुख हि शुभोपयोगी आतमा।।११।।प्रवचन सारज्ञान तत्त्व प्रज्ञापन – मंगलाचरण व भूमिका11
अतीन्द्रिय असहाय केवलज्ञान ज्ञान स्वभाव है ।नियमसार अनुशीलनजीव11भेद प्रभेद
सम्यक् असम्यक् पने से यह द्विविध ज्ञान विभाव है ।। ११ ।।नियमसार अनुशीलनजीव11भेद प्रभेद
इन्द्रियरहित, असहाय, केवल वह स्वभाविक ज्ञान है ।नियमसारजीव11भेद प्रभेद
दो विधि विभाविकज्ञान — सम्यक् और मिथ्याज्ञान है ।।११।।नियमसारजीव11भेद प्रभेद

Related Entries

  • 1
  • 84

Tag:गाथा

  • Share:

ABOUT INSTRUCTOR

User Avatar
    kundkund

    Previous post

    1
    July 16, 2023

    Next post

    अधिकरण
    July 16, 2023

    You may also like

    ज़िनागम का सार भाग 1
    30 November, 2024
    antarang tap
    19 April, 2024

    antarang tap

    अंतरंग तप
    5 September, 2023

    Search

    Categories

    • accordion
    • Blog
    • Chart /Table
    • Chart /Table
    • H5P
    • Uncategorized
    • अनुभूति
    • गाथा
    • ग्रंथ
    • ज्ञान
    • शब्दकोश
    तीर्थंकरों के बारे मे  सब कुछ

    तीर्थंकरों के बारे मे सब कुछ

    Free
    समयसार

    समयसार

    Free
    ग्रंथ इंडेक्स

    ग्रंथ इंडेक्स

    Free

    Kund Kund is proudly powered by WordPress

    Login with your site account

    Lost your password?

    Not a member yet? Register now

    Register a new account

    Are you a member? Login now