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  • Posted by kundkund
  • Date July 16, 2023

गाथा

पंच परमागम

अधिकार

गाथा क्रमांक

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पहली अंतिम

कर नमन जिनवर वृषभ एवं वीर श्री वर्द्धमान को।अष्ट पाहुड़दर्शन पाहुड़1मंगलाचरणपहली
संक्षिप्त दिग्दर्शन यथाक्रम करूं दर्शनमार्ग का ।।१।।अष्ट पाहुड़दर्शन पाहुड़1मंगलाचरणपहली
अरहंत-भासित ग्रथित-गणधर सूत्र से ही श्रमणजन ।अष्ट पाहुड़सूत्र पाहुड़1मंगलाचरणपहली
परमार्थ का साधन करें अध्ययन करो हे भव्यजन ।।१।।अष्ट पाहुड़सूत्र पाहुड़1मंगलाचरणपहली
मंगलाचरण सर्वज्ञ एवं सर्वदर्शी अमोही अरिहंत जिन ।अष्ट पाहुड़चारित्र पाहुड़1मंगलाचरणपहली
त्रैलोक्य से हैं पूज्य जो उनके चरण में कर नमन ।। १ ।।अष्ट पाहुड़चारित्र पाहुड़1मंगलाचरणपहली
शास्त्रज्ञ हैं सम्यक्त्व संयम शुद्धतप संयुक्त हैं।अष्ट पाहुड़बोध पाहुड़1मंगलाचरणपहली
कर नमन उन आचार्य को जो कषायों से रहित हैं ।। १ ।।अष्ट पाहुड़बोध पाहुड़1मंगलाचरणपहली
मंगलाचरण सुर असुर इन्द्र नरेन्द्र वंदित सिद्ध जिनवरदेव अर।अष्ट पाहुड़भाव पाहुड़1मंगलाचरणपहली
सब संयतों को नमन कर इस भावपाहुड़ को कहूँ ।। १ ।।अष्ट पाहुड़भाव पाहुड़1मंगलाचरणपहली
परद्रव्य को परित्याग पाया ज्ञानमय निज आतमा ।अष्ट पाहुड़मोक्ष पाहुड़1मंगलाचरणपहली
शत बार उनको हो नमन निष्कर्म जो परमातमा ।। १ ।।अष्ट पाहुड़मोक्ष पाहुड़1मंगलाचरणपहली
कर नमन श्री अरिहंत को सब सिद्ध को करके नमन ।अष्ट पाहुड़लिंग पाहुड़1मंगलाचरणपहली
संक्षेप में मैं कह रहा हूँ लिंगपाहुड शास्त्र यह ।। १ ।।अष्ट पाहुड़लिंग पाहुड़1मंगलाचरणपहली
विशाल जिनके नयन अर रक्तोत्पल जिनके चरण ।अष्ट पाहुड़शील पाहुड़1मंगलाचरणपहली
त्रिविध नम उन वीर को मैं शील गुण वर्णन करूँ ।। १ ।।अष्ट पाहुड़शील पाहुड़1मंगलाचरणपहली
ध्रुव अचल अरु अनुपमगति, पाये हुये सब सिद्धको,समयसारपूर्वरंग1मंगलाचरणपहली
मैं वन्द श्रुत केवलि कथित, कहूँ समयप्राभुतको अहो ।१॥समयसारपूर्वरंग1मंगलाचरणपहली
शतइन्द्र वन्दित त्रिजगहित निर्मल मधुर जिनके वचन ।पंचास्तिकाय संग्रहषट द्रव्य व्याख्यान रूप पीठिका1मंगलाचरणपहली
अनन्त गुणमय भवजयी जिननाथ को शत-शत नमन ।। १ ।।पंचास्तिकाय संग्रहषट द्रव्य व्याख्यान रूप पीठिका1मंगलाचरणपहली
सुर असुर इन्द्र नरेन्द्र वंदित कर्ममल निर्मलकरन।प्रवचन सारज्ञान तत्त्व प्रज्ञापन – मंगलाचरण व भूमिका1मंगलाचरणपहली
वृषतीर्थ के करतार श्री वर्द्धमान जिन शत-शत नमन ।। १।।प्रवचन सारज्ञान तत्त्व प्रज्ञापन – मंगलाचरण व भूमिका1मंगलाचरणपहली
वर नंत दर्शनज्ञानमय जिनवीर को नमकर कहूँ ।नियमसार अनुशीलनजीव1मंगलाचरणपहली
यह नियमसार जु केवली श्रुतकेवली द्वारा कथित ।। १नियमसार अनुशीलनजीव1मंगलाचरणपहली
नमकर अनन्तोत्कृष्ट दर्शनज्ञानमय जिन वीरको ।नियमसारजीव1मंगलाचरणपहली
कहुँ नियमसार सु केवलीश्रुतकेवलीपरिकथितको ।।१।।नियमसारजीव1मंगलाचरणपहली

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