हिंसानंदी
तीव्र कषाय के उदय से हिंसा में आनंद मानना, हिंसानंद रौद्रध्यान है। जीवों के समूह को अपने से और अन्य के द्वारा मारा जाने पर तथा पीड़ित किये जाने पर तथा विध्वंस करने पर तथा घात करने की सम्बन्ध मिलाये जाने पर जो हर्ष माना जाए, उसे हिंसानंदी रौद्रध्यान कहते हैं । बलि आदि को देकर यश लाभ का चिंतन करना जीवों को खण्ड करने और दग्ध करने आदि को देखकर खुश होना । युद्ध में हार-जीत आदि की भावना करना, परलोक में भी बैरी से बदला लेने की भावना रखना, हिंसानंदी रौद्रध्यान है।