स्वस्थान अप्रमत्त
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अप्रमत्त संयत स्वस्थान अप्रमत्त और सातिशय अप्रमत्त ऐसे दो भेद हैं। मूल व उत्तर गुणों से मंडित व्यक्त, अव्यक्त प्रमाद से रहित कषायों का अनुपशामक और अक्षपक होते हुए भी ध्यान में लीन अप्रमत्त संयत स्वस्थान अप्रमत्त कहलाता है।
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