स्वचतुष्टय
- Home
- स्वचतुष्टय
द्रव्य के द्वारा, क्षेत्र के द्वारा, काल के द्वारा और भाव के द्वारा जो है वह परद्रव्य क्षेत्रादि से नहीं है, इस प्रकार अस्ति – नास्ति आदि का चतुष्टय हो जाता है। जो अस्ति है वह अपने द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव से ही है इतर द्रव्यादि में नहीं।
antarang tap
Not a member yet? Register now
Are you a member? Login now