स्पर्धक
समान गुण वाले वर्गों के समुदाय रूप वर्गणा और वर्गणाओं के समूह रूप स्पर्धक होते हैं । स्पर्धक दो प्रकार के होते हैं – देशघाति स्पर्धक और सर्वघाति स्पर्धक। सब प्रकार से आत्मा गुणों को ढकने वाली जो कर्म की शक्तियाँ हैं उनको सर्वघाति स्पर्धक कहते हैं और विवक्षित एकदेश (आंशिक ) आत्मा के गुणों का आच्छादन करने वाली जीव में शक्तियाँ हैं वे देशघाती स्पर्धक कहलाती हैं ।