स्थिति
1. गति से विपरीत स्थिति होती है अर्थात् स्थिति का अर्थ गमन रहितता है। 2. जितने काल तक वस्तु रहती है वह उसकी स्थिति है यह वस्तु को जानने का एक उपाय है। 3. कर्म रूप से परिणत हुए पुद्गल स्कन्धों के कर्मपने को न छोड़कर रहने के काल को स्थिति कहते हैं। 4. आयु कर्म के उदय से जीव का उस भव में शरीर के साथ रहना स्थिति कहलाती है।