स्त्रीवेद
जिस कर्म के उदय से स्त्री सम्बन्धी भावों की प्राप्ति होती है वह स्त्रीवेद है अथवा जिस कर्म के उदय से पुरुष के प्रति भोगाकांक्षा उत्पन्न होती है उसे स्त्रीवेद कहते हैं अत्यन्त क्रोधरूप परिणाम, अतिमान, अत्यन्त ईर्ष्या, मिथ्याभाषण, छल-कपट, तीव्रराग परस्त्री गमन, स्त्रीभावों में रुचि आदि स्त्रीवेद के आस्रव के कारण हैं।