स्त्री परीषह जय
उन्मत्त स्त्रियों के द्वारा पहुँचाई जाने वाली बाधा से विचलित नहीं होना स्त्री परीषह जय है एकान्त उद्यान या भवन आदि स्थानों पर नवयौवन, मदविभ्रम और मदिरापान से प्रमत्त हुई स्त्रियों के द्वारा बाधा पहुँचाने पर जिसने इन्द्रिय व मन के विकारों को रोक लिया है तथा जो स्त्री जनित मन्द मुस्कान, कोमल सम्भाषण हंसना, मदभरी चाल चलना आदि से अप्रभावित रहता है उसके यह स्त्री परीषह जय कहलाता है।