सौम्यवाचना
कहीं-कहीं स्खलन पूर्ण कृत्ति से जो व्याख्या की जाती है, वह सौम्या वाचना है। स्कन्ध : जिन परमाणुओं ने परस्पर बन्ध कर लिया है वे स्कन्ध कहलाते हैं अथवा जिनमें स्थूल रूप से पकड़ना, रखना आदि रूप व्यापार दिखाई देता है वे स्कन्ध कहे जाते हैं। वे स्कन्ध तीन प्रकार के हैंस्कन्ध, स्कन्धदेश और स्कन्धप्रदेश | अनन्तानन्त परमाणुओं का बन्ध विशेष स्कन्ध कहलाता है उसके आधे को स्कन्धदेश कहते हैं और आधे के भी आधे को स्कन्ध प्रदेश कहते हैं, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु आदि उसी के भेद है स्पर्श आदि और शब्द आदि उसकी पर्यायें हैं। स्कन्धों की उत्पत्ति, भेद से, संघात से और भेद-संघात दोनों से होती है। भेद – संघात से जो स्कन्ध उत्पन्न होता है वे चाक्षुष अर्थात चक्षु इन्द्रियगम्य होते हैं।