सकलादेश
जन उन्हीं अस्तित्वादि धर्मों की कालादिक की दृष्टि से अभेद विवक्षा होती है तब ऐ भी शब्द के द्वारा एक धर्म मुखेन तादात्म्य रूप से एकत्व को प्राप्त सभी धर्मों का अखण्ड भाव से युगपत् कथन हो जाता है, यह सकलादेश कहलाता है । सकलादेश प्रमाण रूप है। केवल धर्मी को कथन करने वाला वाक्य सकलादेश है । अस्तित्व – नास्तित्व आदि धर्मों को कहने वाले सातों भी वाक्त यदि प्रत्येक अकेले बोले जायें तो सकलादेश है । सत्व-असत्व आदि अनेक धर्म रूप जो वस्तु है उस वस्तु विषयक बोधजनक अर्थात् वस्तु के धर्म के द्वारा शेष सब वस्तुओं के स्वरूपों का संग्रह करने से सकलादेश कहलाता है।