श्रिति
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सम्यग्दर्शनआदि शुद्ध गुणों की गुणित्व रूप उत्तरोत्तर अनन्त अवस्था को प्राप्त कर लेना यह श्रिति है ये भाव रूप ऋद्धि है और कोई उच्च स्थान में स्थिति पदार्थ लेना चाहे तो निश्रेणी का अवलम्बन लेकर एक-एक सोपान पंक्ति क्रम से चढ़ना वह द्रव्य श्रिति है।
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