वैमानिक देव
जो विमानों में होते हैं वे वैमानिक हैं। वे दो प्रकार के होते हैं- कल्पोपन्न और कल्पातीत । जो कल्प में उत्पन्न होते हैं वे कल्पोपन्न कहलाते है जिसमें इन्द्र आदि दस प्रकार कल्प किये जाते हैं, वे कल्प कहे जाते हैं। यद्यपि इन्द्र आदि की कल्पना भवनवासियों में भी सम्भव है फिर ये रूढ़ि से कल्प शब्द का व्यवहार वैमानिकों में ही किया जाता है जो कल्पों से परे, वे कल्पातीत देव सभी अहमिन्द्र होते हैं । अग्रमहिषी और लोकपालों से सहित सौधर्म इन्द्र सभी दक्षिणेन्द्र, सर्वार्थसिद्धि वासी और लौकान्तिक नामक सब देव नियम से द्विचरम शरीरी हैं शेष देवों में नियम नहीं है।