वृद्ध
मनुष्य वृद्ध हो अथवा तरुण यदि उसके क्षमा आदि शील गुण वृद्धिंगत हैं, तो वह वृद्ध है, यदि ये गुण वृद्धिंगत नहीं हैं तो वह तरुण है। केवल वय अधिक होने कोई वृद्ध नहीं होता। जिनमें आत्मतत्त्व रूप कसौटी से उत्पन्न भेदज्ञान रूप आलोक से बढ़ाया हुआ ज्ञान रूपी नेत्र है, उनको विद्वानों ने वृद्ध कहा है। जो मुनि तप, शास्त्राध्ययन, धैर्य, विवेक, भेदविज्ञान, यम तथा संयमादिक से वृद्ध अर्थात् बढ़े हुये होते हैं, वे वृद्ध कहलाते हैं।