वीर्याचार
समस्त इतर आचार में प्रवृत्ति करने वाली स्वशक्ति के अगोपन स्वरूप वीर्याचार है । शुद्धात्म स्वरूप में अपनी शक्ति को प्रकट कर आचरण परिणमन करना वह निश्चय वीर्याचार है। अपनी शक्ति प्रकट कर मुनिव्रत का आचरण यह व्यवहार वीर्याचार है। इन चार प्रकार के निश्चय आचार (दर्शनाचार,, ज्ञानाचार, चारित्राचार, तपाचार ) की रक्षा के लिए अपनी शक्ति को नहीं छिपाना निश्चय वीर्याचार है।