वीर
वीर अर्थात् पराक्रमी, वीरता प्रकट करे, शौर्य प्रकट करे, विक्रम (पराक्रम) दर्शाये, कर्म शत्रुओं पर विजय प्राप्त करे, वह वीर है। ऐसे वीर को जो कि श्री वर्धमान, श्री सन्मति, श्री महावीर इन नामों से युक्त है, जो परमेश्वर है, महादेवाधिदेव है तथा अन्तिम तीर्थंकर है। ( देखिये महावीर ) अपर नाम गुणसेन था पूर्व भव नं. 6 में नागदत्त वणिक् पुत्र था, पाँचवें पूर्व भव में वानर, चौथे पूर्व भव में उत्तर कुरु में मनुष्य | तीसरे पूर्व भव में ऐशान स्वर्ग में देव, दूसरे पूर्व भव में रतिषेण राजा का पुत्र चित्रांग, पहले पूर्वभव में अच्युत स्वर्ग का इन्द्र अथवा जयन्त स्वर्ग में अहमिन्द्र था । वर्तमान भव में वीर हुआ। भरत चक्रवर्ती का छोटा भाई था, भरत द्वारा राज्य मांगने पर दीक्षा धारण कर ली । भरत की मुक्ति के पश्चात भगवान ऋषभदेव के गुणसेन नामक गणधर हुए। अन्त में मोक्ष सिधारे। 3. विजयार्थ की उत्तर श्रेणी का नगर । 4. सौधर्म स्वर्ग का पाँचवा पटल |