विभ्रम
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अज्ञानपना या अजानपना ही विभ्रम है अथवा वस्तु को मिथ्याकार रूप से ग्रहण करना विभ्रम है जैसे अनेकान्तमक वस्तु को यह नित्य ही है या यह अनित्य ही है – ऐसे एकान्तरूप जानना सो विभ्रम है अथवा सीप में चाँदी का और चाँदी में सीप -का ज्ञान हो जाना भी विभ्रम है इसे विपर्यय भी कहते हैं।
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