विपाक
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कर्मों के उदय या उदीरणा को विपाक कहते हैं अथवा द्रव्य, क्षेत्र, काल, भव और भाव के निमित्त से उत्पन्न हुआ कर्म का विविध प्रकार का पाक अर्थात् फल की प्राप्ति ही विपाक कहलाता है। इसी को अनुभव भी कहते हैं ।
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