विपक्ष
जो हेतु पक्ष-विपक्ष और सपक्ष तीनों में रहे, उसे अनैकान्तिक कहते हैं। वह दो प्रकार का हैनिश्चित विपक्षवृत्ति और शंकित विपक्षवृत्ति । जो हेतु विपक्ष में निश्चित रूप से रहे उसे निश्चित विपक्षवृत्ति अनैकान्तिक कहते हैं। जो शब्द अनित्य है क्योंकि प्रमेय है, जैसे घड़ा जो हेतु विपक्ष में संसारी रूप से रहे, उसे शंकितवृत्ति अनैकान्तिक कहते हैं। जैसे सर्वज्ञ नहीं है क्योंकि वक्ता है।