विद्याधर
जाति, कुल व तप इन तीन प्रकार की विद्याओं से युक्त वैताढ्य पर्वत पर निवास करने वाले मनुष्य विद्याधर कहलाते हैं। सब विद्याओं को छोड़कर संयम को ग्रहण करने वाले भी विद्याधर होते हैं क्योंकि विद्या विषयक ज्ञान वहाँ पाया जाता है। जिन्होंने विद्यानुप्रवाद को पढ़ लिया है, वे भी विद्याधर हैं क्योंकि उनके भी विद्या विषयक विज्ञान पाया जाता है विद्याधर लोग तीन विद्याओं से तथा पूजा उपासना आदि षटकर्मो से संयुक्त होते हैं। विद्याओं के माध्यम से सुमेरू पर्वत आदि पर भी आजा सकते हैं। जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में स्थित विजयार्ध पर्वत के ऊपर दशयोजन जाकर उस पर्वत के दोनों पार्श्वभागों में विद्याधरों की एक-एक श्रेणी है दक्षिण श्रेणी में 50 और उत्तर श्रेणी में 60 नगर है इससे भी 10 योजन जाकर आभियोग्य देवों की दो श्रेणियाँ हैं। विदेह क्षेत्र के कच्छा देश में स्थित विजयार्ध के ऊपर भी उसी प्रकार दो-दो श्रेणियाँ हैं। दोनों ही श्रेणियों में 55-55 नगर हैं शेष 31 विदेहों के विजयार्गों पर भी इसी प्रकार 55-55 नगर वाली दो-दो श्रेणियाँ हैं । ऐरावत क्षेत्र के विजयार्द्ध का कथन भी भरत क्षेत्र के समान है जम्बू द्वीप के तीनों क्षेत्रों के विजयाद्ध के सदृश ही धातकी खंड व पुष्करार्द्ध द्वीप में जानना चाहिए। इनमें सदा चौथा काल बना रहता है।