विजाति
विजाति गुण में विजाति गुण का आरोप इस प्रकार है। जैसे- मूर्त इन्द्रियों में या विषयों से उत्पन्न होने के कारण मतिज्ञान को मूर्त कहना। यहाँ ज्ञान गुण का विजाति मूर्त गुण का आरोप किया गया है। स्वजाति – विजाति द्रव्य विजाति, स्वजाति गुण का आरोप इस प्रकार है। जीव, अजीव द्रव्यों को ज्ञेय रूप से विषय करने पर ज्ञान को जीव ज्ञान और अजीव ज्ञान कहते हैं। यहाँ चेतन अचेतन द्रव्य में ज्ञान द्रव्य का आरोप किया गया है। स्वजातिय उपचरित असद्भूत व्यवहार विजातीय और स्वजाति-विजाति उपचरित्र व्यवहार के भेद से तीन प्रकार के हैं। अथवा सत्यार्थ असत्यार्थ व सत्यासत्यार्थ के भेद से तीन प्रकार का है। स्वजाति द्रव्य में विजाति द्रव्य का आरोप, स्वजाति गुण में विजातिय गुण का आरोप, स्वजाति पर्याय में विजाति पर्याय का आरोप और स्वजाति द्रव्य में विजाति द्रव्य का आरोप । स्वजाति गुण में विजाति द्रव्य का आरोप । स्वजाति पर्याय में विजाती गुण का आरोप ।