विकल्प
अंतरंग में मैं सुखी हूँ मैं दुखी हूँ इस प्रकार जो हर्ष तथा खेद का करना है, वह विकल्प है अथवा पदार्थ का प्रतिभास विकल्प कहलाता है, या योगों की प्रवृत्ति के परिवर्तन को विकल्प कहते हैं अर्थात् एक ज्ञान के विषय भूत पदार्थ से दूसरे विषयान्तरपने को प्राप्त होने वाली जो ज्ञेयाकार रूप ज्ञान की पर्याय है वह विकल्प कहलाता है। आशय यह है कि रागद्वेष के वशीभूत होकर किसी ज्ञेय पदार्थ के जानने में उपयोग लगाया और किसी दूसरे ज्ञेय के जानने से हटाया इस तरह उपयोग का निरन्तर परिवर्तन करना विकल्प है।