वार्तिक
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सूत्र के नहीं अवतार होने देने की तथा सूत्रों के अर्थ को होने देने की, ऊहापोह या तर्क न करना और उसका परिहार करना तथा ग्रंथ के विशेष अर्थ को प्रतिपादित करना, ऐसे वाक्य को वार्तिक कहते हैं।
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