लौकिक प्रमाण
मान के दो भेद है – रसमान और बीजमान। घी आदि तरल पदार्थों को मापने की छटंकी आदि रसमान हैं और धान्य को मापने को कुड्व आदि बीजमान हैं। तगर आदि द्रव्यों को ऊपर उठाकर जिनसे तौला जाता है वे तराजू आदि उन्मान हैं। खेत मापने के डण्डा आदि अवमान हें । एक-दो-तीन आदि गणना हैं। पूर्व की अपेक्षा आगे मानों की व्यवस्था प्रतिमान है। जैसे- चार मेंहदी के फलों का एक सरसों इत्यादि मगध देश का प्रमाण है। मणि आदि की दीप्ति, अश्व आदि की ऊँचाई, गुण आदि के द्वारा मूल्य निर्धारित करने के लिए तत् प्रमाण का प्रयोग होता है। जैसे- मणि की प्रभा जहाँ ऊपर जाए, उसकी ऊँचाई तक स्वर्ण का ढेर उसका मूल्य होगा। घोड़ा जितना ऊँचा हो, उतनी ऊँची स्वर्ण मुद्राएँ घोड़े का मूल्य है। आदि सब लौकिक प्रमाण हैं।